* चावल लोगों के मुख्य भोजन में शामिल होता है, चावल सेहत के लिहाज से भी उपयोगी माना जा सकता है। यह पचने में आसान होता है। तीन साल पुराना चावल काफी स्वादिष्ट व ओजवर्धक होता है। इसलिए पुराने चावल का ज्यादा प्रयोग करना चाहिए। चावल को सब्जी, मछली और मांसके साथ खाया जाता है। चावल में प्रोटीन, विटामिन और खनिज होते हैं।
* चावल के पोषण का महत्व चावल अपने सबसे महत्वपूर्ण घटक कार्बोहाइड्रेट ( स्टार्च ) के रूप में तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है जो एक पोषण मुख्य भोजन है। दूसरी ओर, चावल में केवल 8 फीसदी वसा और लिपिड भी नगण्य है। नाइट्रोजन पदार्थों की औसत में भी चावल काफी गरीब है। और इस कारण इसे खाने के लिए एक पूर्ण भोजन के रूप में माना जाता हैI चावल का आटा स्टार्च में समृद्ध है और विभिन्न खाद्य सामग्री बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है
* मांड यानी चावल पकाते समय बचा हुआ गाढ़ा सफेद पानी होता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन्स व खनिज होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। इसलिए चावल को मांड सहित खाना चाहिए।

*** अब मधुमेह रोगी भी चावल खा सकते हैं आयुर्वेदिक रीति से पकाया चावल- आलू-

आचार्य चरक, सुश्रुत और सारंगधर ने चावल पकाने की तीन विधियों, मंड, पेया और विलोपी के बारे में बताया है।
* मंड विधि ही मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद होती है। इस विधि से पके चावल का सेवन करने से रोगियों में इंसुलिन प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इस विधि से चावल पकाने के लिए पतीली में चावल और उसकी मात्र से 14 गुना पानी डाल दें। सूखी अदरक और स्वादानुसार सेंधा नमक मिला दें। उसके पक जाने के बाद पानी को चावल से अलग कर दें। यही चावल मधुमेह रोगियों को दिया जा सकता है।
* पानी भी फेंकने के बजाए स्वस्थ लोगों को दिया जाना चाहिए। इससे तनाव, अनिद्रा व भूख न लगने की समस्या दूर हो जाती है।
* मधुमेह रोगी आलू का भी सेवन कर सकते हैं। आलू को पहले उबाल लें। उबले आलू का सेवन एक दिन बाद करें। इससे उसका ग्लाइसेनिक लेवल कम अर्थात लगभग आलू शुगर फ्री हो जाता है।

***** धार्मिक महत्त्व

चावल धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। कोई भी पूजा, यज्ञ आदि अनुष्ठान बिना चावल के पूर्ण नहीं हो सकता। चावल अर्थात अक्षत का मतलब जिसका क्षय नहीं हुआ है। जिसे पूर्ण स्वरूप माना जाता है। पूर्ण स्वरूप होने के कारण इसे सभी देवी-देवताओं को अर्पित किया जाता है। चावल धन-धान्य का प्रतिनिधित्व करता है अत: इसे देवी-देवताओं को चढ़ाने का एक भाव यह भी है कि हमारे घर और समाज में धन-धान्य की कोई कमी ना हो। देवी अन्नपूर्णा की कृपा सदैव बनी रहे।

***** मांगलिक कार्य

हर मांगलिक कार्य में चावल का विशेष महत्त्व होता है। नवरात्रि में घट स्थापना के साथ-साथ हर देवी पूजा में इसका उपयोग किया जाता है। हिन्दुओं में किसी भी शुभ कार्यों पर माथे पर रोली के साथ चावल लगाकर तिलक किया जाता है।

***** औषधीय मूल्य

* यह अपच, मधुमेह, गठिया, लकवा, मिर्गी और गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को ताकत देने के रूप में कई स्वास्थ्य संबंधी विकृतियों के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है।
* दिमाग के लिए फायदेमंद – चावल खाने से दिमागी विकास होता है और शरीर शक्तिशाली होता है।
* कैंसर से लडऩे में – वैज्ञानिकों का मानना है कि चावल में ट्यूमर को दबाने वाले तत्व देखे गए हैं और शायद यही आँतों के कैंसर से बचाव का एक कारण हो अब वैज्ञानिक इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए अपने शोध को आगे बढ़ा रहे हैं।
* चावल को मांड सहित खाना चाहिए। मांड अलग कर देने से चावल के प्रोटीन, खनिज, विटामिन्स निकल जाते हैं और यह बेकार भोजन कहलाता है।
* चावल के औषधीय उपयोग भी हैं, कई रोगों में यह लाभ करता है। सीने में या पेट में जलन, सूजाक, चेचक, मसूरिका, मूत्रविकार में नीबू के रस व नमक रहित चावल का मांड या कांजी सेवन करने से लाभ होता है।
* मोटापे को दूर करने हेतु चावल के बीस ग्राम मांड में सेंधा नमक मिलाकर पिएं। ऐसा नियमित रूप से करने से मोटापा कम होता है।
* पेट की समस्या, बुद्धि विकास व पाचन- चावल, दाल (खासकर मूंग की), नमक, मिर्च, हींग, अदरक, मसाले मिलाकर बनाई गई खिचड़ी में घी मिलाकर सेवन करने से शरीर को बल मिलता है, बुद्धि विकास होता है व पाचन ठीक रहता है और शरीर शक्तिशाली होता है।
* चावल के बारे में आम धारणा है कि बुखार में नुकसान देता है लेकिन हकीकत इसके विपरीत है। बुखार में चावल का सेवन ही सर्वाधिक लाभकारी है। बेसन-दही की कढ़ी के साथ चावल खाने से बुखार में शीघ्र लाभ होता है। कढ़ी-चावल खाने का एक लाभ यह भी है कि जहां कुछ खाने को मन नहीं करता, कढ़ी चावल अच्छे लगते हैं।

 

सावधानी –

पथरी या स्टोन के रोगियों एवं मधुमेह,( डायबिटीज) के रोगी को चावल नहीं खाना चाहिए।

******* चावल खाने के फायदे

* अतिसार – हाजमा बिगड़ जाता है तो उन्हें चावल खाने की सलाह दी जाती है। साथ ही ,उन्हें चावल में दही मिलाकर खाने की सलाह भी दी जाती है। चावलों का आटा लेई की भाति पकाकर उसमें गाय का दूध मिलाकर रोगी को सेवन करायें।
* कमजोर पेट वालों के लिए – चावल का मांड खाने से खाना पचाने में आसानी होती है। चावल में दूध मिलाकर 20 मिनट तक ढंककर रख दीजिए, फिर उसके खाइए ज्यादा फायदा होगा।
* सीने में या पेट में जलन, मूत्रविकार में नीबू के रस व नमक रहित चावल का मांड सेवन करने से लाभ होता है।
* ज्वर – चावलो की खीलों (लाजा) को पीसकर सत्तू बनायें और आवश्यकतानुसार दूध या शहद, चीनी, जल आदि मिलाकर स्वादिष्ट कर लें। इस ’लाल तर्पण’ कहते है।
* एसिडीटी- कच्चे चावला के ८ या १० दानो को पाणी के साथ सुबह खाली पेट गटक लेने से एसिडीटी समाप्त हो जाती है ।
* गला व आवाज – गुड के साथ पकाए चावलं खाने से बैठा हुआ गला व आवाज खुल जाता है ।
* माइग्रेन या आधा सीसी- रात को सोने से पहले चावल को / चावल की खील, 25 ग्राम के लगभग शहद के साथ खाकर सो जाये, ऐसा 2-3 दिन करने से अर्धावमस्तक-शूल (आधा सीसी रोग) दूर हो जायेगा।
* फोड़े की दाहकता- यदि शरीर के किसी भी अंग पर ऐसा फोड़ा निकला हो जिसमें अग्नि के समान जलन और दाहकता का अनुभव हो रहा हो, तो कच्चे चावलो को पानी में भिगोकर सिल पर पीसकर लेप करना चाहिये। इससे ठण्डक पड़ेगी और रोगी को चैन मिलेगा।
* भूख न लगना, अग्निमांध- अग्नि पर चावल पकाकर निचे उतारकर 20-25 मिनट के लिये उसमें दूध मिलाकर ढक्कर रख दें। तत्पश्चात् कमजोर और मंदग्नि से पिडि़त युवको को यह पथ्य देना चाहिये।
* आमाशय या आंत्र का शोथ- जलन (दाहकता) युक्त शोथ अथवा सूजन होने पर चावल की कांजी या चावल का मांड पिलाना लाभदायक रहता है। कांजी बनाने के लिये 1:40 के अनुपात में चावल के आटे में जल मिलाकर तैयार करना चाहिये। स्वाद के लिये दसमें नमक व नींबू का रस भी मिलाया जा सकता है।
* कब्ज होने पर- पेट साफ न हो तो चावल में दूध व शकर मिलाकर सेवन करने से दस्त के साथ पेट साफ हो जाता है।
* आन्तरिक व्रण- यदि आमाशय का व्रण जठराश्रित आन्तरिक हो तो नमक तथा नीबू का रस नही मिलाना चाहिये।
* सूजाक, चेचक, मसूरिका, रक्तदोष जन्य ज्वर, जलन व दहकता युक्त मूत्रविकार में नींबू के रस व नमक रहित चावल की कांजी या मांड का सेवन करना हितकर रहता है। यदि पेय बनाने के लिये लाल शालि चावल हो तो अत्युत्तम अन्यथा कोई चावल लिये जा सकते है।
* पेट साफ न हो तो भात में दूध व शकर मिलाकर सेवन करने से दस्त के साथ पेट साफ हो जाता है।
* वीर्य वद्र्वक योग- चावल दाल की खिचड़ी, नमक, मिर्च, हींग, अदरक मसाले व घी डालकर सेवन करते रहने से शरीर में शुद्व वीर्य की आशातीत वृद्धि होती है, पतलापन दूर होता है। यह सुस्वादु खिचड़ी बल बुद्धि वर्द्धक मूत्रक और शौच क्रिया साफ करने वाली होती है।
* नेत्रों की लाली- सहन करने योग्य गरम भात (उबले चावल) की पोटली बनाकर सेंक करने से वादी एवं कफ के कारण नेत्रों में होने वाली दर्द युक्त लाली समाप्त हो जाती है।
* मल विकार- चिरवा (चिर मुश या चिड़वा) दुध में भीगोकर चीनी मिलाकर सेवन करने से पतला दस्त (मल भेदन) हो जाता है। किन्तु दही के साथ खाने से मल बंध हो जाता है। अतिसार ठीक हो जाता है। पानी में भली प्रकार धोकर दूध के साथ सेवन करने से चिरवा स्वास्थ्य के लिये हितकर हैै। इसस रंग में निखार आता है और शरीर पुष्ट होता है।
* गर्भ निरोधक- चावलों के धोवन के साथ साथ धान (चावलों का पेड़) की जड़ पीस छानकर, शहद मिलाकर, पिलाते रहने से गर्भ स्थिति नही हो पाती। यह हानिरहित, सहज, सुरक्षित गर्भनिरोधक उपाय है।
* हृदय की धड़कन- धान की फलियों के पौधो के उपरी भाग को पानी के साथ पीसकर लेपन करने से हृदय कम्पन और अनियमित धड़कन समाप्त हो जाते है।
* भांग का नशा, मूत्र रेचन, तृषा निवारण- चावल धोकर निकाले पानी में खाने का सोडा दो चुटकी व शक्कर मिलाकर पिलाने से नशा उतर जाता है। पेशाब खुलकर होता है।
* प्यास शांत करने के लिये इस धोवन में शहद मिला लेना चाहिए।
* मधुमेह व्रण- चावल के आटे में जल रहित (गाढ़ा) दही मिलाकर पुल्टिस बनाकर लेप कर दें। यह पुल्टिस रोग की दशानुसार दिन में 3-4 बार तक बदलकर बांध देने से शीध्र लाभ होता है।
* वमन होना- खील (लाजा या लावा) 15 ग्राम में थोड़ी मिश्री और 2-4 नग छोटी इलायची व लौंग के 2 नग डालकर जल मे पकाकर 6-7 उफान ले लें। 1-2 चम्मच थोड़ी देर बाद लेने से वमन होना रूक जाता है। खट्टी पीली या हरी वमन होने पर उसमें नींबू का रस भी मिला लेना चाहिये।
* चेहरे के धब्बे या झाई पड़ना- सफेद चावलों को शुद्व ताजा पानी में भिगोकर उस पानी से मुख धोते रहने से झाई व चकते साफ हो जाते है. सफ़ेद चावल के पानी से चेहरे को धोने से रंग साफ़ होता हे ।
* शरीर की कान्ति वर्द्धन- चावलों का उबटन बनाकर कुछ दिनों तक नियमित मलते रहने से शरीर कुन्दन के समान दीप्त हो जाता है।

***** राइस सौंदर्य फेस स्‍क्रब- स्‍किन पॉलिशिंग और त्‍वचा की सफाई करने के लिये किया जाता है।

1. चावल और शहद- भीगे हुए चावल को पीस लें और उसमें शहद की कुछ बूंदे मिला लें। इस स्‍क्रब को यूज़ करने से एक्‍ने और सन टैनिंग की समस्‍या दूर होगी। शहद चेहरे पर ग्‍लो लाता है तथा इसमें एंटी ऑक्‍सीडेंट होता है जिससे त्‍वचा जल्‍द बूढी नहीं होती है।
2. चावल का आटा और बेकिंग सोडा- क्‍या आपकी स्‍किन ऑयली है? इस फेस स्‍क्रब को अपने चेहरे पर हफ्ते में दो बार लगाएं। बाजार से चावल का आटा ले आएं या फिर चावल को घर पर ही बारीक पीस लें और उसमें शहद तथा बेकिंग सोडा मिला लें। इस पेस्‍ट को अपने चेहरे पर लगाएं और उसके बाद 1 मिनट तक चेहरे पर स्‍क्रब करें। सोडा चेहरे की मृत्‍य त्‍वचा को आराम से हटा देता है।
3. टमाटर और चावल- चावल को पानी में 20 मिनट के लिये भिगो दें। टमाटर और भिगोए हुए चावल को एक साथ पीस कर पेस्‍ट बना लें। इस पेस्‍ट को लगाएं जिससे ब्‍लैकहेड और वाइटहेड साफ हो जाएं।
4. चावल और चीनी – चीनी एक प्रभावशाली स्‍क्रब है और चेहरे को नया लुक देता है। चीनी और चावल को एक साथ पीस लें और पाउडर बना लें। फिर उसमें दही मिलाएं और अपने चेहरे तथा गर्दन पर लगा कर स्‍क्रब करें।
5. चावल, दूध और एप्‍पल साइडर वेनिगर- एक कटोरी में चावल का आटा लें, उसमें 2 बूंद एप्‍पल साइडर वेनिगर और 4-5 बूंद दूध की मिलाएं। इस पेस्‍ट को अपने चेहरे और गर्दन पर लगा कर स्‍क्रब करें।

** हफ्ते में चावल कितनी बार खाया जा सकता है?

* वजन के हिसाब से तय करके इसे रोज खाया जा सकता है. यदि आप अपना वजन घटाना चाहते हैं, तो हफ्ते में दो बार चावल खा सकते हैं लेकिन इसके साथ सलाद अवश्य होना चाहिए. क्योंकि चावल में फाइबर बहुत कम होता है.
* यदि आप वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको चावल रोज खाना चाहिए वह भी उबले आलू के सलाद के साथ.

** किस समय खाना बेहतर है – लंच में या डिनर में ?

* लंच टाइम में खाना बेहतर है. ऐसा इसलिए, क्योंकि इस समय शरीर का मेटाबॉलिज्म हाइ होता है. इससे शरीर में गये काबरेहाइड्रेट का यूज हो जाता है.
* डिनर के समय इसे खाने से बचना चाहिए, क्योंकि इस समय चावल खाने से फैट स्टोर होने लगता है. इससे मोटापा बढ़ने का खतरा होता है.
* यदि डिनर में रोटी कम खाई जाए और चावल को प्रयेग ज्यादा किया जाए, तो यह हल्का भोजन आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होगा।

** शुगर फ्री चावल – ऐसे तैयार होता है

चावल पहले धान को कटिंग प्वाइंट के बाद पेढ़ी क्लीनर से साफ किया जाता है। फिर ढाई टन के चार टबों में भाप देकर स्टीम किया जाता है। हाफ स्टीम के बाद धान को तीन से चार घंटे ड्रायर मशीन में सुखाने का क्त्रम चलता है, फिर होती है कुटाई। सोलटेक्स मशीन में खराब चावलों को निकाल कर साफ किया जाता है। इस लंबी प्रक्त्रिया के बाद तैयार होता है स्टीम राइस। चावल में मौजूद कोलेस्ट्राल के निकल जाने से इसे शुगर फ्री चावल भी कहते हैं।